होमआदतव्यवहार




संबंधित पोस्ट

विशेष कलाकार

रबीन्द्रनाथ टैगोर

कवि

रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) - विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

व्यवहार

व्यवहार बदल जाता है,
जब काम निकल जाता है।


भगवान विष्णु की छाया

कई हजार वर्ष पहले की बात है, एक सुंदर गाँव था, जिसका नाम धर्मपुर था। यह गाँव विशेष रूप से धर्मिक और ईमानदार लोगों से भरपूर था। गाँव के प्रमुख रघुनाथ ब्राह्मण थे, जो भगवान विष्णु के भक्त थे।

रघुनाथ के घर में एक छोटा सा मंदिर था, जिसमें उन्होंने भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित की हुई थी। हर दिन वह भगवान के समर्पण में वक्त गवाते थे और गाँव के लोग भी उनके साथ इस धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेते थे।

एक दिन, धर्मपुर में एक गंभीर समस्या उत्पन्न हुई। बाढ़ ने गाँव को आक्रमण किया और सभी लोगों को परेशानी में डाल दिया। रघुनाथ ब्राह्मण भी इस समस्या का समाधान ढूंढने में जुट गए।

एक रात, उन्होंने एक अद्वितीय सपना देखा। भगवान विष्णु उनके समक्ष प्रकट हुए और बोले, “रघुनाथ, मैं तुम्हारी मदद करूंगा, लेकिन एक शर्त पर।”

रघुनाथ ने सहमति दी, और भगवान ने उन्हें एक विशेष मंत्र दिया जिसे गाँव के सभी लोगों को पढ़ना था। यह मंत्र बाढ़ को रोक देगा।

रघुनाथ ने मंत्र को सभी को सिखाया और फिर सभी ने मिलकर मंत्र का जाप किया। मंत्र की शक्ति से बाढ़ थम गई और गाँव को बचाया।

इसके बाद, गाँव के लोग रघुनाथ की भक्ति और आस्था का सम्मान करने लगे। वह गाँव के हिरण्यमय बन गए और सभी की सेवा करने लगे।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि ईमानदारी, आस्था और भक्ति की शक्ति से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। भगवान के भक्त कभी अकेले नहीं होते, और वे हमें सही मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। रघुनाथ ब्राह्मण की तरह, हमें भी दुनिया की सेवा करने का संकल्प लेना चाहिए और अपने धार्मिक मूल्यों का पालन करना चाहिए। यह ही सच्चा धर्म है।

इस प्रकार, धर्मपुर गाँव ने भगवान विष्णु की छाया में एक सुखमय और सफल जीवन जीने का संकल्प लिया और विश्वास का परिचय दिलाया।

पिछला लेखजीत
अगला लेखहमेशा खुश

नवीनतम पोस्ट

error: Content is protected !!