
भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कई महान वैज्ञानिकों को जन्म दिया है, जिन्होंने अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता और कठिन परिश्रम से देश और दुनिया को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। इन वैज्ञानिकों के आविष्कारों और खोजों ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रभावित किया, बल्कि आम लोगों के जीवन में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाए। विज्ञान की दुनिया में उनके योगदान को समझना हमारे लिए न केवल ज्ञानवर्धक होगा, बल्कि यह भी दर्शाएगा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने किस प्रकार से अपने अनुसंधान के माध्यम से नयी खोजें कीं और समाज को लाभान्वित किया।
डॉ. सी.वी. रमन (Dr. C.V. Raman)

डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन, जिन्हें हम सी.वी. रमन के नाम से जानते हैं, भौतिकी के क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने प्रकाश के प्रकीर्णन पर गहन शोध किया और 28 फरवरी 1928 को “रमन प्रभाव” की खोज की। यह खोज यह समझने में मदद करती है कि जब प्रकाश किसी माध्यम से गुजरता है, तो उसकी तरंग दैर्ध्य में किस प्रकार परिवर्तन होता है। यह खोज विज्ञान जगत के लिए इतनी महत्वपूर्ण थी कि उन्हें 1930 में भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उनका कार्य ऑप्टिक्स और स्पेक्ट्रोस्कोपी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ। भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में लंबे समय तक सेवा देने वाले डॉ. रमन ने विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने युवाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए प्रेरित किया और कई शोध संस्थानों की स्थापना में योगदान दिया। उनकी खोजों का उपयोग आज चिकित्सा, रसायन विज्ञान और खगोल विज्ञान में किया जाता है।
जगदीश चंद्र बोस (Jagdish Chandra Bose)

डॉ. जगदीश चंद्र बोस को रेडियो और माइक्रोवेव ऑप्टिक्स का जनक माना जाता है। वे केवल एक भौतिकविद् ही नहीं, बल्कि एक वनस्पति वैज्ञानिक भी थे। उन्होंने यह सिद्ध किया कि पौधों में भी संवेदनशीलता होती है और वे बाहरी उत्तेजनाओं का उत्तर देते हैं। उन्होंने “क्रेस्कोग्राफ” नामक एक विशेष उपकरण का आविष्कार किया, जिससे पौधों की वृद्धि और उनके जीवन चक्र को मापा जा सकता है। उनकी यह खोज विज्ञान के लिए क्रांतिकारी साबित हुई।
उन्होंने रेडियो तरंगों और माइक्रोवेव के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कार्य किए। वास्तव में, उन्होंने मारकोनी से पहले ही वायरलेस कम्युनिकेशन की अवधारणा को सिद्ध कर दिया था, लेकिन पेटेंट में देरी के कारण उन्हें उतनी मान्यता नहीं मिली। उनका योगदान विज्ञान के कई क्षेत्रों में फैला हुआ है और उनकी खोजों का प्रभाव आज भी विज्ञान और तकनीक में देखा जा सकता है।
होमी जहांगीर भाभा (Homi Jehangir Bhabha)

डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का जनक माना जाता है। उन्होंने भारत में परमाणु ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस नींव रखी। उन्होंने भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की स्थापना की, जो भारत का प्रमुख परमाणु अनुसंधान केंद्र है। उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने भारत को परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया।
वे यह मानते थे कि परमाणु ऊर्जा का उपयोग न केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, बल्कि इसे ऊर्जा उत्पादन और वैज्ञानिक अनुसंधान में भी लागू किया जाना चाहिए। उनके नेतृत्व में भारत ने तेजी से परमाणु तकनीक को विकसित किया और ऊर्जा उत्पादन के लिए इसे अपनाया। उनका योगदान विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में सदैव अमूल्य रहेगा।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (Dr. A.P.J. Abdul Kalam)

डॉ. अब्दुल कलाम को “मिसाइल मैन ऑफ इंडिया” के रूप में जाना जाता है। वे एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ भारत के 11वें राष्ट्रपति भी रहे। उन्होंने भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके नेतृत्व में भारत ने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया।
वे हमेशा युवाओं को प्रेरित करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय विज्ञान, शिक्षा और युवा सशक्तिकरण में बिताया। उनकी आत्मकथा “विंग्स ऑफ फायर” आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देती है। डॉ. कलाम ने देश के रक्षा और अंतरिक्ष कार्यक्रमों को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया और भारत को स्वदेशी तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दिया।
श्रीनिवास रामानुजन (Srinivasa Ramanujan)
