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रबीन्द्रनाथ टैगोर

कवि

रबीन्द्रनाथ टैगोर (७ मई, १८६१ – ७ अगस्त, १९४१) - विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उन्हें गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना में नयी जान फूँकने वाले युगदृष्टा थे। वे एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार सम्मानित व्यक्ति हैं। वे एकमात्र कवि हैं जिसकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं - भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' गुरुदेव की ही रचनाएँ हैं।

प्यार का भरोसा

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मूर्ख लोगों की सूची – हिंदी कहानी

एक वक्त की बात है, बादशाह अकबर अपने दरबारियों के साथ दरबार में मौजूद थे। तभी उनके मन में एक बात आती है। बादशाह बोलते हैं कि मेरे आसपास हमेशा बुद्धिमान लोग रहते हैं और मैं उनके बीच रहकर बोर हो गया हूं। मैंने फैसला किया है कि मुझे कुछ मूर्ख व्यक्तियों से मिलना चाहिए। अकबर, बीरबल से कहते हैं, ‘तुमने हमेशा हमारी मदद अपने ज्ञान और चतुराई से की है। हम चाहते हैं कि इस बार भी तुम ऐसा ही कुछ करो और हमारे लिए 6 मूर्ख व्यक्ति ढूंढ कर लेकर आओ।’

बीरबल : जी जहांपनाह, मैं आपके लिए 6 मुर्ख व्यक्ति जरूर ढूंढकर लाऊंगा।

अकबर : हम आपको 6 मूर्ख व्यक्ति ढूंढने के लिए 30 दिन का समय देते हैं।

बीरबल : जहांपनाह, मुझे इतने अधिक समय की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

अकबर : ठीक है, अगर तुम उससे पहले ही मूर्ख व्यक्ति ले आ सकते हो, तो यह अच्छी बात है।

इसके बाद बीरबल मूर्ख व्यक्तियों की तलाश में निकल पड़ता है। बीरबल रास्ते में पूरा समय इसी सोच में था कि उसे वो मूर्ख लोग कहां मिलेंगे। तभी उसे गधे पर बैठा एक आदमी दिखाई देता है, जो सिर पर घास की गठरी रखे हुए था। बीरबल ने तुरंत घोड़ा रोका और उससे उसकी पहचान पूछने लगा।

बीरबल : कौन हो तुम और ऐसे गधे पर बैठकर और घास अपने सिर पर लेकर क्यों जा रहे हो?

व्यक्ति : मैं रामू हूं और मेरा गधा कमजोर व थका हुआ है, इसलिए गधे का बोझ कम करने के लिए मैंने घास की गठरी अपने सिर पर रखी है।

यह सुनकर बीरबल सोचता है कि मुझे पहला मूर्ख व्यक्ति मिल गया। फिर बीरबल उससे कहता है कि तुम जानवरों के बारे में इतना सोचते हो, इसलिए मैं तुम्हें बादशाह अकबर से इनाम दिलवाऊंगा। यह कहकर बीरबल उस व्यक्ति को अपने साथ चलने के लिए कहता है। इनाम की बात सुनकर रामू बीरबल के साथ हो लेता है।

बीरबल और रामू कुछ दूर चले ही थे कि बीरबल को दो व्यक्ति आपस में लड़ाई करते हुए दिखाई दिए। बीरबल उन दोनों व्यक्तियों को लड़ने से रोकता है और उनसे पूछता है कि तुम दोनों कौन हो और किस बात के लिए लड़ रहे हो?

पहला व्यक्ति : जनाब मेरा नाम चंगु है।

दूसरा व्यक्ति : और मेरा मंगू है।

मंगू : जनाब, मुझे चंगु कहता है कि इसके पास शेर है, जिसे वो मेरी गाय के शिकार के लिए छोड़ेगा।

चंगु : हां मैं ऐसा ही करूंगा और मुझे बहुत मजा भी आने वाला है।

बीरबल : कहां है तुम लोगों की गाय और शेर?

मंगू : जनाब जब भगवान हमें वरदान देने आएंगे, तो मैं उनसे गाय मांगूंगा और चंगु शेर मांगेगा,

जिसे यह मेरी गाय पर छोड़ने की बात कर रहा है।

बीरबल: अच्छा यह बात है।

उनकी बातें सुनकर बीरबल समझ गया कि उन्हें दो और मूर्ख व्यक्ति मिल गए हैं। बीरबल इनाम की बात कहकर उन्हें भी अपने साथ ले लेता है। उन तीनों को लेकर बीरबल अपने घर पहुंचता है और फिर सोचने लगता है कि बाकी के मूर्ख व्यक्ति कहा से ढूंढकर लाऊं। बीरबल उन तीनों मूर्खों को अपने घर में ही रहने के लिए कहकर बाहर चला जाता है। जब बीरबल और मूर्ख लोगों को ढूंढने के लिए बाहर आता है, तो उसे एक व्यक्ति दिखाई देता है, जो कुछ ढूंढता रहता है। बीरबल उसके पास जाकर पूछता है कि आप क्या ढूंढ रहे हैं?

व्यक्ति : जनाब मेरी अंगूठी कहीं गिर गई है, जिसे मैं काफी समय से खोज रहा हूं, लेकिन मुझे नहीं मिल रही है।

बीरबल : क्या आपको पता है कि अंगूठी कहां गिरी थी?

व्यक्ति : दरअसल, मेरी अंगूठी यहां से दूर उस पेड़ के पास गिरी थी, लेकिन वहां अंधेरा होने के कारण मैं यहां उसे ढूंढ रहा हूं।

बीरबल : अच्छा यह बात है। आप कल हमारे साथ बादशाह के दरबार में चलो। मैं बादशाह अकबर से आपको दूसरी अंगूठी देने के लिए कहूंगा।

व्यक्ति : अच्छा ठीक है फिर (खुश होकर)।

अगले दिन सुबह बीरबल दरबार में उन चारों मूर्खों को लेकर पहुंचता है।

बीरबल : बादशाह अकबर मैं आपके कहे अनुसार मूर्ख व्यक्तियों को ढूंढ कर ले आया हूं।

अकबर : बीरबल तुमने तो एक ही दिन में मूर्ख व्यक्ति ढूंढ लिए, क्या हमारे राज्य में मूर्खों की संख्या अधिक है और तुम यकीन के साथ कैसे कह सकते हो कि ये व्यक्ति मूर्ख हैं?

बीरबल ने बादशाह से सारी बातें बताई। फिर अकबर कहते हैं कि ये तो केवल चार ही लोग हैं, बाकी के दो मूर्ख कहां हैं?

बीरबल : जहांपनाह यहां पर 6 मूर्ख व्यक्ति हैं?

अकबर : यहां कहां हैं और कौन हैं, हमें भी बताओ।

बीरबल : जहांपनाह, एक तो मैं स्वयं हूं।

अकबर : तुम मूर्ख कैसे हुए?

बीरबल : मैं इसलिए मूर्ख हूं, क्योंकि मैं इन मूर्खों को खोजकर लाया।

अकबर : फिर अकबर हंसने लगता है और कहता है कि मैं समझ गया कि दूसरा मूर्ख कौन है। पर मैं तुमसे सुनना चाहता हूं।

बीरबल: दूसरे आप हैं जहांपनाह, जो आपने मुझे मूर्ख व्यक्तियों को लाने के लिए कहा।

बीरबल की बातें सुनकर अकबर उसकी प्रशंसा करने लगते हैं और कहते हैं कि बीरबल के पास हर सवाल का जवाब होता है।

कहानी से सीख- दिमाग और चतुराई से हर मुश्किल काम आसान हो सकता है, लेकिन ऐसे कामों में अपना कीमती समय व्यर्थ नहीं करना चाहिए, जिसका कोई मतलब न हो।

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